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Kerala State Syllabus 8th Standard Hindi Solutions Unit 2 Chapter 2 पिता का प्रायश्चित (संस्मरण)
पिता का प्रायश्चित पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
प्रायश्चित कहानी के प्रश्न उत्तर प्रश्ना 1.
वह झूठ बोला, “कार तैयार नहीं थी, इसलिए देर हो गई।” इस तरह झूठ बोलना क्या सही है? क्यों?
उत्तर:
झूठ बोलना कभी भी सही नहीं है। क्योंकि यह एक बुरी आदत है। झूठ बोलने से तत्काल फ़ायदा हो सकता है। लेकिन इससे भविष्य में नुकसान ही होगा।
Prayashchit Meaning प्रश्ना 2.
“घर तक की अठारह मील की दूरी पैदल चलकर ही तय करूँगा।” मनीलाल गाँधी के इस निर्णय से आप सहमत हैं? क्यों?
उत्तर:
मनीलाल गाँधी का यह निर्णय बिलकुल सही है। क्योंकि बेटे की गलती का कारण वे अपने को मानते हैं। इसके द्वारा उन्होंने अपने बेटे को अपनी गलती पर सोचविचार करने मौका दिया।
पिता का प्रायश्चित Textbook Activities
Pitha Ka Prayaschit प्रश्ना 1.
सही मिलान करें।
उत्तर:
वर्ष — बरस
सुदूर — दूरदराज
प्रदेश — इलाका
अवसर — मौका
प्रतीक्षा — इंतज़ार
ढूँढ़ — तलाश
प्रश्ना 2.
अर्थभेद समझें।
डरबन से 18 मील दूर एक आश्रम में रहता है।
डरबन से 18 मील दूर एक आश्रम में रहता था।
मैं और मेरी दो बहिनें हमेशा शहर जाने की इंतज़ार में रहते हैं।
मैं और मेरी दो बहिनें हमेशा शहर जाने की इंतज़ार में रहते थे।
वहाँ दूर तक गन्ने के खेत हैं।
वहाँ दूर तक गन्ने के खेत थे।
Prayaschit प्रश्ना 3.
पत्र लिखें।
संस्मरण कैसा लगा? पुत्र की गलती पर पिता ने अपने आप को सज़ा दी। इसी दर्द के एहसास से अरुण गाँधी ने यह निर्णय लिया- मैं कभी झूठ नहीं बोलूँगा। अपना दर्द वह दोस्त से बाँटे बिना नहीं रह सका। उसने मित्र को पत्र लिखा। वह पत्र कल्पना करके लिखें।
उत्तर:
डरबन
20 अगस्त 1950
प्रिय मित्र,
नमस्कार।
तुम कैसे हो? सोचता हूँ कुशल से हो। हम यहाँ डरबन में खुशी से जी रहे हैं। अपने जीवन के एक विशिष्ट बात बताने के लिए मैं यह चिट्ठी लिख रहा हूँ। कल पिताजी को मेरी गलती पर प्रायश्चित करना पड़ा। हुआ यह कि पिताजी को शहर में कल एक मीटिंग थी। उन्हें मैंने कार से शहर छोड़ा। शाम पाँच बजे उन्हें लेने जाना था। लेकिन बेन जॉन का सिनेमा देखकर मैं समय भूल गया। देरी के कारण पूछने पर झूठ बोला कि कार ठीक करके गैरेज से नहीं मिला। लेकिन पिताजी बात पहले ही समझ गए थे।
पिताजी ने मेरे झूठ को अपनी गलती माना। वे प्रायश्चित करते हुए घर तक का रास्ता पैदल चले। यह देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। मैं यह निश्चय किया हूँ कि आइंदा झूठ नहीं बोलूंगा। अगर पिताजी मुझे कोई सज़ा दी होती तो मैं ऐसा कोई निर्णय नहीं लेता। मैं यह घटना कभी नहीं भूलूँगा। उसकी याद ज़िंदगी में मुझे सही रास्ते पर ज़रूर ले जाएगी।
अपना दोस्त
अरुण गाँधी।
सेवामें
अरविंद
वर्धा आश्रम
पोरबंदर
गुजरात
भारत
पत्र लिखते समय ध्यान दें…
स्थान और तारीख है।
उचित संबोधन है।
विषय का सही संप्रेषण है।
स्वनिर्देश है।
पता है।
पिता का प्रायश्चित मेरी रचना में
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पिता का प्रायश्चित Summary in Malayalam and Translation
पिता का प्रायश्चित शब्दार्थ Word meanings