Teachers recommend solving Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Question Paper Set 4 to improve time management during exams.
Kerala Syllabus Std 9 Hindi Model Question Paper Set 4
Time : 90 Minutes
Score : 40
सामान्य निर्देश:
- पहला पंद्रह मिनट कूल ऑफ़ टाइम है। इस समय प्रश्नों का वाचन करें और उत्तर लिखने की तैयारी करें।
- वैकल्पिक प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर लिखें |
सूचना: ‘फूल’ कविता का यह अंश पढ़ें, प्रश्न 1 और 2 के उत्तर लिखें।
बाज़ार में सजा प्लास्टिक के फूलों का उद्यान क्या गज़ब की रंगत है जैसे बिना मौसम बहार आ गई हो न मिट्टी, न मिट्टी गोड़ने की समस्या न खाद, न पानी न चिड़िया से रखवाली न मौसम का इंतज़ार |
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों से विशेषण शब्द चुनकर लिखें। (1)
(क) प्लास्टिक के
(ख) उद्यान
(ग) मिट्टी
(घ) इंतज़ार
उत्तर :
(क) प्लास्टिक के
प्रश्न 2.
चार सही प्रस्ताव चुनकर लिखें। (4)
‘फूल’ रामदरश मिश्र की कविता है ।
यहाँ कवि सिर्फ प्रकृति के बारे में कहा है |
घर प्लास्टिक के फूलों की एकरसता में डूब जाता है |
पत्नी पूजा केलिए प्लास्टिक फूलों की मांग करती है |
कवि का बच्चा फूलों की पहचान के लिए असली फूलों की मांग करता है ।
यह प्रकृति की ओर वापसी और प्राकृतिक जीवन की सच्ची सुंदरता का प्रतीक है ।
अथवा
मनुष्य अपनी सुविधा के लिए प्रकृति से अलग रहते हैं । कविता के आधार पर इस पर विचार करें और विश्लेषणात्मक टिप्पणी लिखें |
उत्तर :
‘फूल’ रामदरश मिश्र की कविता है |
घर प्लास्टिक के फूलों की एकरसता में डूब जाता है |
कवि का बच्चा फूलों की पहचान के लिए असली फूलों की मांग करता है ।
यह प्रकृति की ओर वापसी और प्राकृतिक जीवन की सच्ची सुंदरता का प्रतीक है ।
अथवा
रामदरश मिश्र की कविता “फूल” में आधुनिक समाज और प्रकृति के बीच संबंध का महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश है। कविता में बाजार में प्लास्टिक के फूलों की प्रशंसा की गई है, जो बिना देखभाल के हमेशा खिलते रहते हैं। ये कृत्रिम फूल हमारी सुविधाजनक जीवनशैली का प्रतीक हैं, लेकिन इनमें जीवन का अभाव होता है।
कवि को जब अपने आँगन के असली फूलों की याद आती है, तो उसे उनकी सजीवता का एहसास होता है। असली फूल, भले ही अस्थायी और देखभाल की मांग करते हों, लेकिन वे जीवन की सच्ची सुंदरता का प्रतिनिधित्व करते हैं। कविता में हवाओं, मधुमक्खियों, और पूजा के फूलों की मांगें हैं, जिन्हें प्लास्टिक के फूल पूरा नहीं कर सकते। यह स्थिति कृत्रिमता की सीमाओं को दर्शाती है। कवि का बच्चा फूलों की पहचान के लिए फूल मांगता है, जिससे कवि को अपनी गलती का एहसास होता है। अंत में, कवि प्लास्टिक के फूल तोड़कर अपने आँगन की मिट्टी से जूझता है। यह प्रतीकात्मकता दर्शाती है कि हमें पुनः प्रकृति की ओर लौटना चाहिए। प्रकृति के साथ जुड़कर ही हम जीवन की सच्ची खुशियों और संतोष को पा सकते हैं।
कविता हमें यह संदेश देती है कि आधुनिक सुविधाओं की चाह में हम प्रकृति से दूर हो रहे हैं। असली सुंदरता और खुशी प्राकृतिकता में ही है। हमें अपने जीवन में प्राकृतिकता को महत्व देना चाहिए और प्रकृति के साथ जुड़कर रहना चाहिए, ताकि हम जीवन की सच्ची सुंदरता और संतोष पा सकें।
सूचना: ‘झटपट और नटखट’ का यह अंश पढ़ें, प्रश्न 3 और 4 के उत्तर लिखें।
“मुझे कागज़ की नाव बनाना नहीं आता । तुम सिखा दोगे?” “हाँ, उसमें क्या है।” नटखट खुश होकर बोला, “पर मुझे तैरना नहीं आता | तुम सिखा दोगे? “हाँ उसमें क्या है।” झटपट ने मुस्कुराते हुए नटखट के शब्दों की नक़ल की और दोनों भाई हँस पड़े | |
प्रश्न 3.
‘झटपट और नटखट किस विधा की रचना है? (1)
(क) संस्मरण
(ख) कहानी
(ग) एकांकी
(घ) उपन्यास
उत्तर :
(ख) कहानी
प्रश्न 4.
झटपट ने नदी में कूद कर नटखट की जान बचाई | मान लें, इसपर स्कूल में बधाई समारोह हो रहा है। इसके लिए पोस्टर तैयार करें | (4)
उत्तर :
बधाई समारोह विषय: झटपट ने नदी में कूदकर नटखट की जान बचाईझटपट की बधाई समारोह तारीख – 10 जुलाई 2023 समय- सबेरे दस बजे स्थान – स्कूल सभागृह उद्घाटन – प्रधानाचार्य सबका हार्धिक स्वागत |
सूचना: ‘जन-जन का चेहरा एक’ कविता का यह अंश पढ़ें और 5 से 7 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें |
गंगा में, इरावती में, मिनाम में अपार अकुलाती हुई, नील नदी, आमेज़न, मिसौरी में वेदना से गाती हुई, बहती-बहाती हुई ज़िन्दगी की धारा एक । |
प्रश्न 5.
‘जन-जन का चेहरा एक’ किसकी कविता है? (1)
उत्तर :
मुक्तिबोध
प्रश्न 6.
नमूने के अनुसार लिखें। (1)
नदी का नाम | मुख्य क्षेत्र |
गंगा | भारत |
नील |
उत्तर :
नदी का नाम | मुख्य क्षेत्र |
गंगा | भारत |
नील | मिस्त्र |
प्रश्न 7.
इन पंक्तियों का आशय लिखिए | (2)
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियाँ जन-जन का चेहरा एक शीर्षक कविता से ली गई है जिसके रचयिता कवि गजानन माधव मुक्तिबोध है कवि कहते हैं कि गंगा, इरावती, मिनाम, नील, आमेजन, मिसौरी इन सब में अपार जल प्रवाहित होता रहता है। इनके जलों में कोई मौलिक अंतर नहीं है। ये नदियाँ मनुष्य को निरंतर बढ़ते रहने की प्रेरणा देती है। ये नदियाँ प्यार और क्रोध दोनों का संदेश देती है।
सूचना: फुटबॉल के दिल का राजा लेख का यह अंश पढ़ें और 8 से 10 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
फुटबॉल की लोकप्रियता पेले की ख्याति के साथ दुनिया भर में फैली | और यह सब उन्होंने तब किया जब अफ्रीकी मूल के काले वर्ण के लोगों का दुनिया भर में अपमान होता था | उन्हें कमतर आँका जाता था | बिना स्कूल की शिक्षा के, भयानक गरीबी और भूखमरी से निकल के फुटबॉल के दिल पर इस तरह किसी दूसरे ने राज नहीं किया | |
प्रश्न 8.
पेले ने किस खेल में दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की? (1)
उत्तर :
फुटबॉल
प्रश्न 9.
पेले की फुटबॉल के दिल पर राज करने की उपलब्धि को किन कठिनाइयों के संदर्भ में उल्लेखित किया गया है? (2)
उत्तर :
पेले ने फुटबॉल के दिल पर राज तब किया जब अफ्रीकी मूल के काले वर्ण के लोगों का दुनिया भर में अपमान होता था और उन्हें कमतर आँका जाता था। इसके अलावा, उन्होंने बिना स्कूल की शिक्षा के, भयानक गरीबी और भूखमरी से निकलकर यह उपलब्धि हासिल की।
प्रश्न 10.
पेले की जीवनी तैयार करें | (4)
उत्तर :
पेले का असली नाम एडसन अरांतेस डो नासिमेंटो था । उनका जन्म 23 अक्तूबर 1940 को ट्रेंस कोराकोस के मिनास गेराइस में हुआ । यह दक्षिण-पूर्वी ब्राज़िल का शहर है। उनके पिता क्लब स्तर पर फुटबॉल खेला करते थे। उनकी माँ हाउसवाइफ थी। वे कभी स्कूल नहीं गए । चौथी कक्षा में स्कूल के दिनों में फुटबॉल खेलने के कारण निकाले जाने के बाद पेले ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। उन्होंने 15 साल की उम्र में सैंटोंस और 16 साल की उम्र में ब्राज़ील की राष्ट्रीय टीम के लिए खेलना शुरू किया। अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर के दौरान, उन्होंने तीन फीफा विश्व कप जीते 1958 (स्वीडन), 1962 (चिली) और 1970 (मेक्सिको) आदि । उन्होंने विश्व कप खेल में 12 गोल किये और प्रथम श्रेणी मैचों में 1000 से अधिक गोल किये। 1999 में अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति द्वारा उन्हें सदी का एथलट नामित किया गया था। फुटबॉल की लोकप्रियता पेले की ख्याति के साथ दुनिया भर में फैली । वे सचमुच फुटबॉल के दिल का राजा है। उनका निधन 29 दिसंबर 2022 को 82 साल की उम्र में हुआ ।
सूचना:’घर’ कहानी का यह अंश पढ़ें, प्रश्न 11 और 12 के उत्तर लिखें |
सोते ही उन्हें सपने आना शुरू हो जाता है । उनके सपने में चल रहा था कि बुखारी में रखी पुरानी मटकी के पास छिपकली ने अंडे दिए हैं। कमरों के पीछे गैलरी के कोने में मकड़ी ने बहुत बड़ा जाला तैयार कर लिया जिसमें कुछ मक्खियाँ सुखाई हुई हैं । |
प्रश्न 11.
उनके सपने में उन्होंने क्या देखा? (1)
(क) बुखारी में चाय बन रही है
(ख) पुरानी मटकी के पास छिपकली ने अंडे दिए हैं
(ग) गैलरी में बच्चों के खेलने का सामान पड़ा है
(घ) बगीचे में फूल खिले हैं
उत्तर :
(ख) पुरानी मटकी के पास छिपकली ने अंडे दिए हैं
प्रश्न 12.
वाक्य पिरामिड की पूर्ती करें । (2)
(पुरानी, बुखारी में रखी)
उत्तर :
सूचना: ‘ जब गांधीजी की घडी चोरी चली गई’ लेख का यह अंश पढ़ें और 13 से 15 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें |
तभी गांधीजी के साथ गई उनकी सहयोगी ने खादी के एक पुराने से थैले में से एक छोटा सा डिब्बा और एक चम्मच निकालकर गांधीजी के सामने रख दिया | डिब्बे में बकरी के दूध से बना दही था और चम्मच हालांकि टूटा हुआ था, लेकिन उसके टूटे हत्थे पर लकड़ी की खपच्ची धागे से बाँध दी गई थी | |
प्रश्न 13.
‘जब गांधीजी की घडी चोरी चली गई’ किसकी रचना है? (1)
(क) नेहरु की
(ख) गांधीजी की
(ग) स्वयं प्रकाश की
(घ) कलाम की
उत्तर :
(ग) स्वयं प्रकाश की
प्रश्न 14.
सही विकल्प चुनकर लिखें | (1)
(क) उन + की = उनकी
(ख) उन + कि = उनकि
(ग) उस + की= उनकी
(घ) उस+कि= उनकि
उत्तर :
(क) उन + की = उनकी
प्रश्न 15.
सही मिलान करें | (4)
सर्वनाम | परसर्ग युक्त रूप |
मैं | उनका, उनके |
वह | मेरी, मुझे |
वे | आपका,आपके |
आप | उस, उसका |
उत्तर :
सर्वनाम | परसर्ग युक्त रूप |
मैं | मेरी, मुझे |
वह | उस, उसका |
वे | उनका, उनके |
आप | आपका, आपके |
सूचना: ‘घर, पेड़ और तारे की याद’ लोककथा का यह अंश पढ़ें, प्रश्न 16 और 17 के उत्तर लिखें |
बच्चों से नहीं रहा गया। उन्होंने अपने पिटा और माँ को गले लगा लिया और रोते हुए कहा, हम ही आपके बच्चे हैं | हम वापस लौट आए है। हम सनोबर के पेड़ सी ही अपने घर को पहचान गए थे। ” |
प्रश्न 16.
बच्चों ने अपने माता-पिता को गले लगाकर क्या कहा? (1)
(क) हम आपके दोस्त हैं
(ख) हम ही आपके बच्चे हैं
(ग) हम आपके पड़ोसी हैं
(घ) हम आपके शिक्षक हैं
उत्तर :
(ख) हम ही आपके बच्चे हैं
प्रश्न 17.
इस अंश के आधार पर माँ और बच्चे का वार्तालाप तैयार करें। (1)
अथवा
निम्नलिखित वाक्यों से भाई की चार चरित्रगत विशेषताएँ चुनकर लिखें |
वह उम्मीद, हिम्मत आदि से अपने जीवन की समस्याओं का सामना करता है।
भाई अपनी बहन को ठीक तरह नहीं संभालता है।
उसके मन में अपने देश लौटने की इच्छा नहीं है ।
उसके मन में माँ-बाप के पास लौटने की इच्छा है।
अपनी बहन को धैर्य बंधाकर वह अपने घर पहुँच गए |
उसने अपने घर को आँगन में खड़े सनोबर के पेड़ को देखकर पहचान लिया |
उत्तर :
बच्चे: माँ, हमें भूख लगती है।
माँ: बच्चों मेरे पास आओ। आज रात हमारे साथ रहो । बच्चे: हाँ, सचमुच, आज रात आपके साथ रहेंगे|
माँ: आज अपने बच्चे हमारे साथ हैं तो हम कितने खुश होते | बच्चे: आप क्या कह रही है । हम ही अप्पके बच्चे हैं |
माँ: हे ईश्वर, मैं ने इनको पहचाना नहीं |
बच्चे:: हम वापस लौट आए ।
माँ: तुम ने घर कैसे पहचान लिया?
बच्चे: आँगन में खड़े सनोबर के पेड़ से
माँ: अच्छा हुआ। हम ने इसको नहीं काटा |
बच्चे: माँ,हम बहुत ख़ुश हुए |
माँ: हम भी खुश हुए। हम एकसाथ बड़ी ख़ुशी से इसी घर में रह जाएँ |
सूचना: ‘कब तक? कविता का यह अंश पढ़ें और प्रश्न 18 और 19 के उत्तर लिखें |
समय बदल चुका है नहीं देता अब कोइ अपना निवाला नहीं देता अपना गाल और नहीं रखता कोइ अपने सर पर जूती |
प्रश्न 18.
कविता में ‘कोई’ शब्द का प्रयोग बार-बार हुआ है। यह किसको सूचित करता है? (1)
(क) आधुनिक स्वार्थ मनुष्य को
(ख) दूसरों का इंतज़ार करनेवालों को
(ग) दूसरों का मदद करने वालों को
(ग) दूसरों का सहारा’ लेने वालों को
उत्तर :
(क) आधुनिक स्वार्थ मनुष्य को
प्रश्न 19.
कवि और कविता का परिचय देते हुए कवितांश का आशय लिखें। (4)
अथवा
कविता पर चर्चा करें और ऐसे महापुरुषों के नाम जोड़े जिन्होंने समाज के उत्थान के लिए अपनी ज़िन्दगी का समर्पण किया है।
उत्तर :
कवयित्री वन्दना तेते की ‘कब तक?’ नामक कविता से लिए गए इस कवितांश में आत्मसम्मान के बारे में कहा गया है |
कवयित्री कहती है कि कोई अपना निवाला किसी को नहीं देता है । कोई दूसरा को गाली देकर अपने सर पर जूता रखना नहीं चाहता है । अर्थात कोइ अपमानित होना चाहता है । हरेक के जीवन में आत्म-सम्मान से बड़ी चीज़ नहीं होती है ।
अथवा
कविता ‘ कब तक ?’ में कवयित्रि वंदना टेटे ने आत्म-सम्मान के बारे में स्पष्ट किया है। उनकी राय में अपना पहचान जानने केलिए दूसरों का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं है । तुम्हारे लिए लड़ने के लिए कोई नहीं आएगा। तुम्हारे संबन्ध में इतिहासकार ने कहानी में चर्चा की है। यह सोचकर खुश होने की ज़रूरत नहीं है । दूसरों की शरण में रहनेवाले तुम जैसे लोगों का इतिहास तुमने नहीं बल्कि इतिहासकार ने लिखा है । तुम्हारे उद्धार केलिए अवतारों के आगमन के इन्तज़ार करने की ज़रूरत नहीं है। पहले हमारे देश, रहन-सहन, आचार आदि को उद्धार करने केलिए स्वातंत्र्य संग्राम के नेता श्रीमती अक्कामा चेरियान, समाज सुधारक श्रीनारायण गुरु, महात्मा अय्यंकाली, मुसलमानों के नेता एवं पत्रकार वक्कम अब्दुल खादर माँलवी आदि महानपुरुष थे। उन्होंने अपना जीवन दूसरों केलिए समर्पण किया। लेकिन आज अपने दुख को बढ़ाकर कोई तुम्हारा दुख दूर करने केलिए तैयार नहीं होगा । इसलिए स्वयं बदलो । समय बदल चुका है। कोई अपनी निवाला किसी को नहीं देता है। कोई स्वयं अपमान उठाना नहीं चाहता है। आत्म-सम्मान सबसे बड़ी बात है। किसी भी मुसीबत का सामना करके आगे बढ़ने की प्रेरणा आत्म-सम्मान से ही मिलती है।