Teachers recommend solving Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Question Paper Set 2 to improve time management during exams.
Kerala Syllabus Std 9 Hindi Model Question Paper Set 2
Time : 90 Minutes
Score : 40
सामान्य निर्देश:
- पहला पंद्रह मिनट कूल ऑफ़ टाइम है। इस समय प्रश्नों का वाचन करें और उत्तर लिखने की तैयारी करें।
- वैकल्पिक प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर लिखें |
सूचना:- ‘घर’ कहानी का यह अंश पढ़ें, प्रश्न 1 और 2 के उत्तर लिखें |
“सो, अब मेरा इरादा श्रीमान फरहाद के घर में ही बचा खुचा जीवन गुज़ारने का है।” छिपकली ने एक ही वाक्य में बातचीत समाप्त करते हुए कहा । “विचार अच्छा है।” गिरगिट बोला | “अच्छा है ना? वक्त मिले तो आना कभी ।” कहते हुए छिपकली आगे बढ़ गई | |
प्रश्न 1.
इस कहानी का लेखक कौन है? (1)
(क) प्रभात
(ख) राजेश जोशी
(ग) प्रशांत
(घ) प्रकाश
उत्तर :
(क) प्रभात
प्रश्न 2.
‘प्रकृति सबका घर है’ लघु लेख तैयार कीजिए | (4)
अथवा
चार सही प्रस्ताव चुनकर लिखें:-
फरहाद का जीवन बहुत ही व्यवस्थित और सलीकेदार है|
वे अपने आसपास के जीव-जंतुओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील और सहानुभूति नहीं रखते है |
छिपकली, मकड़ी, मच्छर और अन्य जीव उनके नए घर में सहजता से रहते हैं |
वे छिपकली के दर्द को समझते है |
वे न केवल अपने मनुष्य मित्रों, बल्कि अन्य जीव जंतुओं के साथ भी मित्रता प्रकट नहीं करते हैं ।
उनकी जीवन शैली और सोच उन्हें एक संपूर्ण व्यक्ति के रूप में दर्शाती हैं |
उत्तर :
प्रकृति सबका घर है
प्रकृति सबका घर है। यह एक विशाल और विविधतापूर्ण स्थान है जिसमें जीव-जंतु, पेड़-पौधे, और सूक्ष्मजीव रहते हैं। प्रकृति की जटिल प्रणाली में हर प्राणी का महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह न केवल आश्रय और भोजन प्रदान करती है, बल्कि जीवन चक्र को संतुलित भी रखती है। हमारी
आवश्यकताएँ जैसे स्वच्छ हवा, जल, भोजन और औषधियाँ, प्रकृति से प्राप्त होती हैं।
आधुनिक विकास और मानव गतिविधियों से प्रकृति को गंभीर खतरा है। जंगलों की कटाई, प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, जैसे पेड़-पौधों को बचाना, जल संसाधनों का संरक्षण करना, और प्रदूषण कम करना ।
प्रकृति का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। हमें यह समझना होगा कि हम इस ग्रह के केवल निवासी नहीं, बल्कि संरक्षक भी हैं। जब हम प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहते हैं, तो हम एक सुंदर, संतुलित और समृद्ध दुनिया का निर्माण करते हैं जहाँ सभी जीव-जंतु और मानव खुशी और शांति से रह सकते हैं!
अथवा
- फरहाद का जीवन बहुत ही व्यवस्थित और सलीकेदार है।
- छिपकली, मकड़ी, मच्छर और अन्य जीव उनके नए घर में सहजता से रहते हैं |
- वे छिपकली के दर्द को समझते है |
- उनकी जीवन शैली और सोच उन्हें एक संपूर्ण व्यक्ति के रूप में दर्शाती हैं ।
सूचना:- ‘जन जन का चेहरा एक’ कविता की ये पंक्तियाँ पढ़ें, प्रश्न 3 और 4 के उत्तर लिखें |
एशिया की, यूरोप की अमरीका की गलियों की धूप एक । कष्ट-दुख संताप की चेहरों पर पड़ी हई झुरियों का रूप एक ! जोश में यों ताकत से बंधी हुई मुठियों का एक लक्ष्य ! |
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों के आधार पर बताइए कि एशिया, यूरोप और अमरीका की गलियों में किस चीज़ को एक समान बताया गया है? (1)
(क) धूप
(ख) झरियाँ
(ग) कष्ट-दुख
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4.
इन पंक्तियों का आशय अपने शब्दों में लिखें। (4)
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियाँ जन-जन का चेहरा नामक एक शीर्षक कविता से ली गई हैं, जिसे गजानन माधव मुक्तिबोध ने लिखा था। कवि कहते हैं कि कोई व्यक्ति चाहे किसी भी देश या प्रांत का निवासी हो उन सबमें समानता पाई जाती है। सूर्य अपनी किरणें एशिया, यूरोप और अमेरिका में समान रूप से बिखेरता है। पीडित व्यक्ति के चेहरे पर पड़ने वाली रेखाएँ या झुर्रियां समान होती हैं शक्ति में अथवा जोश में बंधी मुठियाँ समान लक्ष्य रखती हैं।
सूचना:- ‘झटपट और नटखट’ कहानी का यह अंश पढ़ें और 5 से 7 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें |
एक ठा झटपट, एक था नटखट | झटपट बड़ा था, नटखट छोटा बड़ा केवल दो साल बड़ा था, छोटा केवल दो साल छोटा | दोनों स्कूल में पढ़ते थे | झटपट पाँचवीं में, नटखट तीसरी में, घर से दोनों भाई साथ-साथ स्कूल जाते और साथ-साथ ही वापस घर आते | |
प्रश्न 5.
कहानी के अनुसार, झटपट और नटखट के बीच कितने साल का अंतर है? (1)
(क) एक साल
(ख) दो साल
(ग) तीन साल
(घ) चार साल
उत्तर :
(ख) दो साल
प्रश्न 6.
नमूने के अनुसार लिखें | (1)
झटपट दौड़ लगाता है। | झटपट दौड़ लगा रहा है। |
मछली तैरती है। | ………….. |
उत्तर :
मछली तैर रही है।
प्रश्न 7.
दौड़ लगाते समय झटपट और नटखट ने रास्ते में किन किन चीज़ों को पार किया ? (2)
उत्तर :
दौड़ लगाते समय झटपट और नटखट ने नाला, बाग, खेत और बरगद को पार किया और पोखर तक पहुँचते-पहुँचते थक गए |
सूचना:- ‘बोनजाई’ कविता की ये पंक्तियाँ पढ़े और 8 से 10 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें |
मौसम ने फिर करवट ली मुझमें लगे फल फूल ने तुम्हें फिर डराया अबकी तमने मुझे उखाड़ फेंका घूरे पर आओ देखकर जाओ यहाँ मेरी जड़े और फ़ैल गई हैं । |
प्रश्न 8.
‘कूड़े-कचरे’ के अर्थ में कविता में प्रयुक्त शब्द कौन सा है ? (1)
उत्तर :
घुरा
प्रश्न 9.
निम्नलिखित आशायवाली पंक्तियाँ चुनकर लिखें। (2)
वह घर के अन्दर द्रायिंग रूम में नहीं रखी जाती है। |
उत्तर :
मुझमें लगे फल फूल ने तुम्हें फिर डराया
प्रश्न 10.
क्या, बोनसाई किसी विशेष अर्थ की सूचना देता है? (4)
उत्तर :
बोनज़ाई जापानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है छोटी पौधा । यह वायु को शुद्ध करने में काम आती है | इसे घरों और कार्यालयों में रखी जाती है । इसे प्राकृतिक रूप देकर पेड़ जैसे लगा देते हैं ।
सूचना: ‘घर’ कहानी का यह अंश पढ़ें, प्रश्न 11 और 12 के उत्तर लिखें |
देर रात श्रीमान फरहाद आए। उन्होंने दो कमरे, किचन और बरामदे वाले अपने नए मकान में हर जगह की लाइट जलाई। खाना बनाकर खाया। पानी पीया | मच्छरदानी लगाई और लाइटें बुझाकर सो गाए| |
प्रश्न 11.
गद्यांश के अनुसार, श्रीमान फरहाद ने सोने से पहले क्या किया? (1)
(क) किचन की सफाई की।
(ख) सभी लाइटें बुझाई।
(ग) मच्छरदानी नहीं लगाई।
(घ) टीवी देखा |
उत्तर :
(ख) सभी लाइटें बुझाई।
प्रश्न 12.
वाक्य पिरामिड की पूर्ती करें । (2)
(दोस्त के साथ, पार्क में)
उत्तर :
सूचना: ‘घर, पेड़ और तारे की याद’ लोककथा का यह अंश पढ़ें और 13 से 15 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें:
युद्ध के दौरान भाई और उसकी बहन घर से बिछुड़ गए। भाई आठ साल का था और बहन छह साल की। वे एक दूर देश में पहुंचे । वे इतने छोटे थे कि उन्हों वापस लौटने का रास्ता पता नहीं था | |
प्रश्न 13.
युद्ध के दौरान भाई और बहन की उम्र क्रमशः कितनी थी जब वे बिछुड़ गए थे? (1)
(क) सात और पांच साल
(ख) आठ और छह साल
(ग) नौ और सात साल
(घ) दस और आठ साल
उत्तर :
(ख) आठ और छह साल
प्रश्न 14.
सही विकल्प चुनकर लिखें । (1)
(क) हम + री = हमारी
(ख) हमा + री = हमारी
(ग) हम + आरी = हमारी
(घ) हम + की = हमारी
उत्तर :
(घ) हम + की = हमारी
प्रश्न 15.
सही मिलान करें । (4)
पात्र | मनोभाव |
भाई | भाई- बहन के भविष्य पर आशंका | |
अभिभावक | रास्ते की बाधाओं पर डर | |
बहन | जीवन में खुशियों के लौट आने की प्रतीक्षा | |
माँ | सफलता पर ख़ुशी | |
उत्तर :
पात्र | मनोभाव |
भाई | सफलता पर ख़ुशी | |
अभिभावक | भाई- बहन के भविष्य पर आशंका |
बहन | रास्ते की बाधाओं पर डर | |
माँ | जीवन में खुशियों के लौट आने की प्रतीक्षा | |
सूचना : ‘जब गांधीजी की घड़ी चोरी चली गई’ का यह अंश पढ़ें, प्रश्न 16 और 17 के उत्तर लिखें |
रूम कूलर बंद करवाने का सीधा मतलब नए वायसरॉय को यह सन्देश देना था कि ठंडे कमरों में बैठकर हिन्दुस्तान पर हुकूमत नहीं की जा सकेगी । हमसे बात करनी है तो बाहर धुप में और खुले मैदान में आओ | |
प्रश्न 16.
‘जब गांधीजी की घड़ी चोरी चली गई’ किसने लिखा है? (1)
(क) राजेश जोशी
(ख) स्वयं प्रकाश
(ग) प्रकाश सिंह
(घ) प्रताप नारायण
उत्तर :
(ख) स्वयं प्रकाश
प्रश्न 17.
गांधीजी की चाय पार्टी की तैयारियों के बारे में लेडी माउंटबेटन और लार्ड माउंटबेटन के बीच की संभावना बातचीत तैयार करें । (4)
अथवा
मान लें, गांधीजी के साथ की पहली मुलाक़ात के बारे में वायसरॉय ने डायरी लिखी । वह डायरी लिखें |
उत्तर :
- लेडी माउंटबेटन: लार्ड माउंटबेटन, गांधीजी की चाय पार्टी की तैयारियों के लिए हमें बहु सारी चीज़ों का ध्यान रखना पड़ेगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी इंतजाम सही तरीके से हों।
- लार्ड माउंटबेटन: हां, बिल्कुल। सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि गांधीजी चाय पिएंगे या दूध । वे शाकाहारी हैं या मांसाहारी ?
- लेडी माउंटबेटन: और हमें यह भी देखना होगा कि वे कुर्सी मेज़ पर बैठकर नाश्ता करेंगे या फर्श पर बैठकर । हमें उनके रसोइए का भी ध्यान रखना होगा। क्या रसोइए का ब्राह्मण होना ज़रूरी है या कोई भी चलेगा?
- लार्ड माउंटबेटन: हां, और हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उस दिन गांधीजी का उपवास तो नहीं रहेगा। उनके साथ कितने लोग आएंगे और वे क्या खाएँगे?
- लेडी माउंटबेटन: बिल्कुल। हमें यह भी जानना होगा कि गांधीजी को नाश्ते में क्या पसंद है। और हमें नाश्ता तैयार करने के लिए रसोइए और सामग्री कहाँ से लानी है।
- लार्ड माउंटबेटन: हां, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सब कुछ सही तरीके से हो। इस चाय पार्टी को सफल बनाना बहु जरूरी है।
- लेडी माउंटबेटन: और हां, गर्मियों के दिन हैं, तो जिस कमरे में गांधीजी को बिठाना है, उसे एक घंटा पहले से रूम कूलर चलाकर ठंडा कर लिया जाएगा।
- लार्ड माउंटबेटन: हां, यह अच्छा होगा। हमें गांधीजी को आराम देना है, लेकिन साथ ही हमें उनके सभी रीति-रिवाजों और आदतों का भी ध्यान रखना होगा।
- लेडी माउंटबेटन: सही कहा । हमें हर छोटी से छोटी चीज़ का ध्यान रखना होगा ताकि गांधीजी को कोई असुविधा न हो और वे सहज महसूस करें।
अथवा
दिनांक: 2 जून 1947 आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। महात्मा गांधीजी से पहली बार मुलाकात करने का अवसर प्राप्त हुआ। मुझे यह आभास था कि गांधीजी से संवाद किए बिना भारत में कोई ठोस कदम उठाना असंभव है, इसलिए मैंने उन्हें चाय पर आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया। वायसरॉय भवन में चाय पार्टी की तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ी गई। हमें नहीं पता था कि गांधीजी चाय पिएँगे या दूध, इसलिए दोनों का प्रबंध किया गया। उनके आहार और बैठने की व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया गया। श्रीमती माउंटबेटन ने सभी तैयारियों का जिम्मा खुद लिया।गर्मियों के कारण जिस कमरे में गांधीजी को बिठाना था, उसे एक घंटा पहले से रूम कूलर चलाकर ठंडा कर दिया गया था। हालांकि, गांधीजी कमरे में प्रवेश करते ही अपनी धोती से बदन लपेटकर कुर्सी पर सिकुड़कर बैठ गए। “इस कूलर को प्लीज बंद कर दीजिए, मुझे सर्दी लग रही है,” उन्होंने कहा। यह देखकर मुझे एहसास हुआ कि हमारा आराम का प्रयास असफल हो गया। मैंने गांधीजी से राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा शुरू की, लेकिन उन्होंने विशेष रुचि नहीं दिखाई। जब मैंने पूछा कि क्या बात है, तो उन्होंने बताया कि रास्ते में उनकी घड़ी चोरी हो गई थी। वह घड़ी उनके लिए बहु महत्वपूर्ण थी, और इसकी चोरी ने उन्हें व्यथित कर दिया था। मैंने सोचा कि उन्हें एक नई घड़ी दिला दूं, पर मुझे पता था कि वे वही पुरानी घड़ी चाहेंगे।जब नाश्ते का समय आया, तो गांधीजी ने कहा, “आप लोग लीजिए, मैं तो अपना नाश्ता साथ लाया हूँ।” उन्होंने अपने सहयोगी से एक छोटा डिब्बा और टूटा हुआ चम्मच मंगवाया। डिब्बे में बकरी के दूध से बना दही था। यह देखकर हमें उनकी सादगी और आत्मनिर्भरता का गहरा संदेश समझ में आया। गांधीजी के व्यवहार में कई संदेश छिपे थे। रूम कूलर बंद करवाना यह संकेत था कि ठंडे कमरों में बैठकर भारत पर शासन नहीं किया जा सकता। घड़ी की चोरी की बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना यह दिखाता है कि ब्रिटिश राज्य में सुरक्षा की स्थिति कैसी है। और उनका अपना नाश्ता लाना यह दर्शाता है कि भारत की जनता अपनी मेहनत की कमाई खाती है, जबकि साम्राज्यवादी लूट पर ऐश करते हैं।यह मुलाकात मेरे लिए अत्यंत शिक्षाप्रद रही। गांधीजी के सादगी और आत्मनिर्भरता के संदेश ने हमारे दृष्टिकोण को नई दिशा दी। आज की इस मुलाकात को मैं कभी नहीं भूलूंगा ।लॉर्ड माउंटबेटन |
सूचना: ‘फूल’ कविता की यह अंश पढ़े और प्रश्न 18 और 19 के उत्तर लिखें:
मैंने प्लास्टिक के सारे फूल तोड़ डाले और फावड़ा लेकर अपने आँगन की मिट्टी से जूझने लगा मिट्टी मुस्कराई हवा खिलखिलाई जल कल-कल-कल-कल गाने लगा । |
प्रश्न 18.
आँगन का पर्यायवाची शब्द क्या है? (1)
(क) चौक
(ख) बगीचा
(ग) उपवन
(घ) खग
उत्तर :
(क) चौक
प्रश्न 19.
मनुष्य अपनी सुविधा के लिए प्रकृति से अलग रहते हैं। कविता के आधार पर इसपर विचार करें और विश्लेष्णात्मक टिप्पणी लिखें:- (4)
अथवा
फूल कविता का अस्वादन टिप्पणी लिखिए
उत्तर :
रामदरश मिश्र की कविता “फूल” आधुनिक समाज में मनुष्य और प्रकृति के बीच के संबंध को उजागर करती है। कविता की शुरुआत में बाजार के प्लास्टिक फूलों की प्रशंसा की गई है, जो बिना देखभाल के हमेशा खिलते रहते हैं। ये फूल कृत्रिमता की प्रवृत्ति का प्रतीक हैं । कवि को अपने आँगन के वास्तविक फूलों की याद आती है, जो अस्थायी लेकिन सजीव होते हैं। कविता सिखाती है कि प्राकृतिक चीजें, भले ही देखभाल की मांग करती हों, जीवन की सच्ची सुंदरता का प्रतिनिधित्व करती हैं। हवाओं, मधुमक्खियों और कवि की मांगें गंध और रस की होती हैं, जिसे प्लास्टिक के फूल पूरा नहीं कर सकते। कविता के अंत में कवि प्लास्टिक के फूल तोड़कर मिट्टी से जूझता है, जो प्रतीकात्मकता है कि हमें प्रकृति की ओर लौटना चाहिए। कविता संदेश देती है कि कृत्रिमता जीवन के वास्तविक अनुभवों से दूर कर रही है और हमें प्राकृतिकता को महत्व देना चाहिए ताकि हम जीवन की सच्ची सुंदरता और संतोष पा सकें।
अथवा
रामदरश मिश्र की कविता “फूल” में बाजार के प्लास्टिक फूलों और वास्तविक फूलों के बीच का अंतर सुंदर और संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत किया गया है। कविता की शुरुआत बाजार में सजे प्लास्टिक के फूलों की प्रशंसा से होती है, जो बिना देखभाल के हमेशा खिलते रहते हैं। कवि को उनके आंगन के वास्तविक फूल याद आते हैं, जो प्राकृतिक होते हैं और जिनमें जीवन की चंचलता और नश्वरता होती है। कवि ने अपने आँगन के वास्तविक फूलों को उखाड़कर प्लास्टिक के फूलों से घर सजा दिया । समय बीतने पर भी घर के रंग स्थिर रहे, लेकिन गंध, रस, और पूजा के लिए फूलों की मांग पूरी नहीं हो सकी। जब बच्चे ने फूलों की पहचान के लिए फूल मांगे, तो कवि ने प्लास्टिक के फूलों को तोड़ दिया और मिट्टी से जूझकर प्रकृति की वापसी का संकेत दिया। यह कविता सिखाती है कि जीवन में वास्तविकता और प्राकृतिक सुंदरता का कोई विकल्प नहीं हो सकता, और हमें प्राकृतिक और वास्तविक चीजों को महत्व देना चाहिए ।