Practicing with SCERT Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Notes Pdf Download Unit 3 Chapter 2 मधुर वचन Madhur Vachan Questions and Answers Notes improves language skills.
Class 10 Hindi Madhur Vachan Question Answer Notes
मधुर वचन Question Answer Notes
SCERT Class 10 Hindi Unit 3 Chapter 2 मधुर वचन Notes Question Answer
प्रश्न 1.
वाणी से तन-मन को शांत किया जा सकता है – क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? क्यों ?
उत्तर :
इस सथन से सहमत हूँ। अपने अनुभव से कह सकता/सकती हूँ कि वाणी मन को प्रसन्न भी कर सकती है और दुःख भी पहुँचा सकती है।
प्रश्न 2.
औरों को हम कैसे सुख दिला सकते हैं?
उत्तर :
मधुर वाणी के द्वारा औरों को हम सुख दिला सकते हैं।
प्रश्न 3.
दोहे का आशय लिखें।
उत्तर :
कवि लोगों को उपदेश देते हैं – मन का अहंकार छोड़कर मुँह से ऐसे मीठे वचन बोलो कि तुम्हारा अपना शरीर शीतल हो जाए। साथ ही सुननेवालों को भी सुख मिले।
प्रश्न 4.
इन पंक्तियों से कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर :
इस पंक्तियों से कवि भलाई को स्वीकार कर बुराई को छोड़ने का संदेश देता है ।
प्रश्न 5.
कबीर ने सज्जन की तुलना सूप से की है । क्यों ?
उत्तर :
सूप अपने पास अच्छे अनाज रखकर बेकार अनाज को छोड़ देता है । उसी प्रकार सज्जन को अपने अंदर अच्छाइयों को ग्रहण कर बुराइयों को दूर कर देना चाहिए।
प्रश्न 6.
दोहे का आशय लिखें।
उत्तर :
समाज में सूप के स्वभाव वाले सज्जनों की ज़रूरत है। सूप सार्थक को बचा लेगा और निरर्थक को उड़ा देगा।
प्रश्न 7.
‘दया धर्म का मूल है’ – क्या आप इस कथन से सहमत हैं, क्यों ?
उत्तर :
मैं इस कथन से सहमत हूँ ।
क्योंकि धर्म मनुष्य को जीवन के सही रास्ते पर ले जाता है। अतः दया को धर्म का मूल मानना उचित ही है।
प्रश्न 8.
कभी भी दया न छोडिए कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
उत्तर :
धर्म का मूल दया है, दया की भावना से धर्म उत्पन्न होता है। प्राणी मात्र का अस्तित्व दया के कारण ही होता है। इस कारण कवि ने ऐसा कहा होगा।
प्रश्न 9.
दोहे का आशय लिखें।
उत्तर :
दया की भावना से धर्म उत्पन्न होता है । गर्व तो पाप को जन्म देता है। मनुष्य को अपने शरीर में जब तक प्राण रहते हैं, दया भावना कभी नहीं छोड़नी चाहिए ।
प्रश्न 10.
राज, धर्म, तन तीनि कर होई बेगिहीं नास- इससे क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
राज्य, शरीर और धर्म का शीघ्र ही नाश हो जाता है।
प्रश्न 11.
दोहे का आशय लिखें।
उत्तर :
यह कविवर तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस में कही गई एक नीति है।
मंत्री, वैद्य और गुरु यदि भय के कारण अथवा किसी आशा से सत्य न बोलकर मीठी बातें बोलते हैं. तो क्रमशः राज्य, शरीर और धर्म का शीघ्र ही नाश हो जाता है।
सत्य बोलना और निष्पक्ष सलाह देना बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 12.
फट जाये तो ना मिले – इससे आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
ये चीज़ें खराब हो जातीं, करोडों उपाय करने के बाद भी अपने पूर्व रूप में नहीं आतीं।
प्रश्न 13.
इन पंक्तियों से कवि क्या कहना चाहते हैं ?
उत्तर :
कुछ चीजें ऐसी है जो एक बार बिगड़ जाती हैं, फिर पूर्व रूप में नहीं आतीं । मन को भी इससे मुक्ति नहीं ।
प्रश्न 14.
दोहे का आशय लिखें।
उत्तर :
मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक अपने सहज रूप में हैं तब तक अच्छे लगते हैं। ये सब, एक बार खराब हो जाते, करोडों उपाय करने से भी अपने पूर्व रूप में नहीं आते।
प्रश्न 15.
‘झटके से मत तोड़ना’ – इसके समान आशयवाली पंक्ति चुन लें ।
उत्तर :
मत तो चटकाय
प्रश्न 16.
टूटे पै फिर न जुरे’ ऐसा क्यों कहा होगा ?
उत्तर :
प्रेम टूट जाने पर पहले जैसा लगाव नहीं होता ।
प्रश्न 17.
दोहे का आशय लिखें।
उत्तर :
प्रेम धागे के समान है। इसे जान बूझकर नहीं तोड़ना चाहिए। प्रेम रूप धागा एक बार टूट गया तो फिर जुड़ नहीं पाता। जोड़ भी दिया जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है।
प्रेम – बंधन में कभी भी टूटन न हो ।
गतिविधियाँ
सही मिलान करें।
उत्तर :
बाणी | वाणी |
आपा | अहंभाव |
सीतल | शीतल |
तीनि | तीनों |
नास | नाश |
तोरो | तोडो |
जुरे | जुड़े |
आस | आशा |
इन आशयवाली पंक्तियों को दोहों से छाँटकर लिखें।
क) हमें अपने शरीर में प्राण रहते तक दयाभाव को त्यागना नहीं चाहिए ।
उत्तर :
तुलसी दया न छोडिये, जब तक घट में प्राण ।।
ख) सार्थक बातों को अपनाना चाहिए और बेकार की बातों को छोड़ देना चाहिए।
उत्तर :
सार-सार को गहि रहै,
थोथा देइ उडाय ।।
ग) अगर प्रेम का धागा एक बार टूट जाए, तो फिर इसे जोड़ना मुश्किल होता है। आगर जुड़ भी जाए, तो उसमें गाँठ पड़ जाती है।
उत्तर :
टूटे पे फिर ना जुरे,
जुरे गाँठ परी जाय ।।